लेखनी कहानी -14-Nov-2022# यादों के झरोखों से # मेरी यादों की सखी डायरी के साथ
हैलो सखी।
कैसी हो ।मै अच्छी हूं।कल एक सखी की रचना पढ़ रही थी मन भर आया।।उसमे जो लिखा है वही सब हमारे साथ भी होता है ।अब हमे ये पता नही हम लेखिका के तौर पर कितने स्थापित है पर बहुत से प्लेटफार्म से हमे आफर आते रहते है कभी को राइटर बनने के लिए कभी उनके प्लेटफार्म को ज्वाइन करने के लिए। लेकिन हमे भी पतिदेव के तानों से दोचार होना पड़ता है हमेशा कहते रहे गे ।तुम और लेखिका हहहा
ऐसे हम पर हंसते है।कभी फोन पर कुछ लिखूं तो कहते है
"बड़ी आयी लेखिका बनने।"
अब क्या सब गुण मर्दों में ही होते है क्या हम महिलाओं का कोई वजूद नही है । मैंने देखा है एक औरत का पति कुछ अच्छा करदे या उसकी कही प्रशंसा हो तो औरत फूली नही समाती की मेरे पति की प्रशंसा हो रही है वही ऐसे किसी औरत की प्रशंसा या तरक्की होती हो तो आदमी जलन मे ही मर जाएगा।ऐसा क्यूं है मै आज तक नही समझ पायी।
दूसरी बात।औरत अपना सब कुछ न्यौछावर कर देती है अपने परिवार पर लेकिन फिर भी औरत का ताउम्र कोई घर नही बन पाता
मेरी मम्मी हमेशा कहती है बेटी जाओ अपना घर समभालो।
मेरी सास हमेशा कहती है अपने बेटे को ,
"बेटा दूसरे घर से आयी है ।
अब तुम ही बताओ मेरा घर कौन सा है।
इस बात पर तो मेरी एक रचना "परायी" की याद आ जाती है ।
"बडी गजब की रचना हूं मै तेरी भगवान।
बेटी बन कर भी परायी ।बहू बन के भी परायी।।
अब चलती हूं सखी।मन भर आया है ।
अच्छा अलविदा।
Khan
29-Nov-2022 05:35 PM
बेहतरीन 🌸🌺👌
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अदिति झा
20-Nov-2022 06:15 PM
शानदार
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Rajeev kumar jha
20-Nov-2022 09:47 AM
Nice 👍🏼
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